करवा चौथ व्रत:- प्रतिवर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का त्योहार मनाया जाता है। इस बार यह त्योहार (पर्व) 1 नवंबर 2023, दिन बुधवार को मनाया जाएगा। इस दिन अविवाहिताएं या कुंवारी युवतियां अच्छे वर की कामना से यह व्रत रखती हैं तथा विवाहिता महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए इस दिन व्रत रखती हैं।
1. सूर्योदय से पहले स्नान करके व्रत रखने का संकल्प लें।
2. फिर मिठाई, फल, सेंवई और पूड़ी की सरगी ग्रहण कर व्रत शुरू करें।
3. संपूर्ण शिव परिवार और श्रीकृष्ण की स्थापना करें।
4. गणेश जी को पीले फूलों की माला, लड्डू और केले चढ़ाएं।
5. भगवान शिव और पार्वती को बेलपत्र और श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें।
6. श्रीकृष्ण को माखन-मिश्री और पेड़े का भोग लगाएं।
7. उनके सामने मोगरा या चन्दन की अगरबत्ती और घी का दीपक जलाएं।
8. मिटटी के कर्वे पर रोली से स्वस्तिक बनाएं।
9. कर्वे में दूध, जल और गुलाब जल मिलाकर रखें और रात को छलनी के प्रयोग से चंद्र दर्शन करें और चन्द्रमा को अर्घ्य दें।
10. इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार जरूर करें, इससे सौंदर्य बढ़ता है।
11. इस दिन करवा चौथ की कथा कहनी या फिर सुननी चाहिए।
12. कथा सुनने के बाद अपने घर के सभी बड़ों का चरण स्पर्श करना चाहिए।
13.करवा चौथ का व्रत सूर्योदय से पहले से प्रारंभ हो जाता है। उसके पूर्व कुछ भी खा-पी सकते हैं। उसके बाद जब तक रात्रि में चंद्रोदय नहीं हो जाता तब तक जल भी ग्रहण नहीं करते हैं। चंद्र दर्शन के पश्चात ही इस व्रत का विधि-विधान से पारण करना चाहिए। यदि कोई स्वास्थ्य समस्या है, तो कथा (कहानी) सुनने के बाद आप थोड़ा जल को ग्रहण कर सकती है।
पति की दीर्घायु की कामना कर पढ़ें यह मंत्र:-
‘नमस्त्यै शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभा। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे।’
करवे पर 13 बिंदी रखें और गेहूं या चावल के 13 दाने हाथ में लेकर करवा चौथ की कथा कहें या सुनें। कथा सुनने के बाद करवे पर हाथ घुमाकर अपनी सासुजी के पैर छूकर आशीर्वाद लें और करवा उन्हें दे दें। 13 दाने गेहूं के और पानी का लोटा या टोंटीदार करवा अलग रख लें।
विशेष : चन्द्रमा निकलने के बाद छलनी की ओट से पति को देखे और चन्द्रमा को अर्घ्य दें। इसके बाद पति से आशीर्वाद लें। उन्हें भोजन कराएं और स्वयं भी भोजन कर लें। पूजन के पश्चात आस-पड़ोस की महिलाओं को करवा चौथ की बधाई देकर पर्व को संपन्न करें।