डांडिया: नवरात्रि के पहले दिन, एक दीपक को मिट्टी के घड़े में बहुत से छेद करके उसके अंदर रखा जाता है। इसमें एक चांदी का एक सिक्का भी रखते है। दीप गर्भ इस दीपक का नाम है। दूसरी ओर, डांडिया नृत्य मां दुर्गा और महिषासुर की लड़ाई को चित्रित करता है। मां दुर्गा की तलवार डांडिया की रंगीन छड़ी कहलाती है। इसलिए डांडिया को तलवार नृत्य भी कहा जाता है।
नवरात्रि में डांडिया का महत्व: क्योंकि यह गुजरात से आया है और एक पारंपरिक व सांस्कृतिक नृत्य है। नवरात्रि पर डांडिया खेलने की परंपरा का इतिहास कई हजारों साल पुराना है। भारत में डांडिया गुजरात और राजस्थान जैसे राज्यों में आज से पहले भी खेला जाता था, लेकिन इसकी लोकप्रियता धीरे-धीरे बढ़ती गई।
नवरात्री में ही डंडिया क्यों खेला जाता है?
नवरात्री में ही डांडिया खेलना शुभ माना जाता है और नौ दिन तक मां दुर्गा के सामने ज्योत जलाई जाती है। भक्त हर शाम मां की पूजा करने के लिए एकत्र होते हैं और डांडिया खेलते है हैं। गुजरात के हर घर में और गली में मां दुर्गा की प्रतिमा के सामने डांडिया खेला जाता है। साथ ही, डांडिया नृत्य मां दुर्गा और महिषासुर की लड़ाई को चित्रित करता है। इसलिए इसे तलवार नृत्य भी कहते हैं।
महिलाये भक्त डंडिया करते समय रंगीन पोशाक पहनते हैं, जैसे झुमके, चूड़ियां, हार आदि। पुरुष सिर पर एक पगड़ी और घुटनों के ऊपर एक छोटा गोल कुर्ता वाला कफनी पायजामा पहनते हैं। भारतीय संस्कृति का एक सांस्कृतिक नृत्य है, डंडिया। यह नृत्य भी खुशी और उत्साह का प्रतीक है।